महर्षि दयानन्द सरस्वती आधुनिक भारत के चिन्तक तथा आर्य समाज के संस्थापक थे।स्वामी दयानन्द ने अपने सिद्धान्तों को व्यावहारिकता देने, वैदिक धर्म को फैलाने तथा भारत व विश्व को जागृत करने के लिए जिस संस्था की स्थापना की उसे 'आर्य समाज' कहते हैं।
आर्य समाज की स्थापना 10 अप्रैल 1875 को मुम्बई में की गई थी।
उनके नक्शे कदम पर चलते हुए आज भी आर्य समाज सभा के लोग जन कल्याण के लिए कार्य कर रहे हैं।
विद्यार्थियों को आर्य समाज स्थापना दिवस के महत्त्व के बारे में बताने के लिए स्कूल में कार्यक्रम आयोजित किया गया।इस अवसर पर विद्यार्थियों ने गायत्री मंत्र, शांति पाठ और आर्य समाज के दस नियम प्रस्तुत किये।
इस कार्यक्रम में विद्यार्थियों को आर्य समाज की सेवाओं के बारे में बताने के साथ -साथ महात्मा हंसराज जी के बारे में बताया गया जिन्होंने दयानंद जी से प्रभावित होकर डीएवी संस्था की स्थापना की। यह संस्था न केवल समाज के उत्थान के लिए कार्य करती है बल्कि इस संस्था में पढ़े बच्चों ने उच्च पद प्राप्त करके विश्व में एक विशेष स्थान हासिल किया है। बच्चे इन दिग्गजों का रूप धारण कर मंच पर प्रस्तुत हुए।
स्कूल के प्रधानाचार्य डॉक्टर योगेश गंभीर जी ने आर्य समाज के स्थापना दिवस पर सबको शुभकामना देते हुए कहा कि आर्य समाज का उद्देश्य हिंदू धर्मग्रंथ वेदों को सत्य के रूप में पुनः स्थापित करना था। इसका अतिरिक्त उद्देश्य सभी मानव जाति के शारीरिक, आध्यात्मिक और सामाजिक कल्याण में सुधार करना था। हर इंसान को वेदों द्वारा बताए रास्ते पर चलकर अपने जीवन को सार्थक करना चाहिए।